कुछ रंग प्यार के ऐसे भी
मुझसे बात करने की फुर्सत नहीं
पल भर मेरे पास जो ठहरे नहीं
अब वो मुलाकातें हमारी होती नहीं
पहले वाले दिन उसे याद नहीं
लडना झगड़ना तो वो भूल गया
क्या बचपन का प्यार पचपन में खो गया ?
गिले शिकवे, रूठना मनाना उन्हें पसंद नहीं
ठहर सी गयी जिन्दगी अब इसमें कोई रंग नहीं
ना अपनों वाला एहसास है ना पराया पन
ना आम हूँ, ना खास ,
कभी कहीं जिन्दगी कहा था हमें
और जिन्दगी से दुर कर दिया हमें
जो है इसे क्या कहें ?
कैसा रंग था जो चढकर छूट गया
छूट गया या टूट गया ?
या फिर अब भी है....
हमेशा हमारे साथ साथ ...
कुछ रंग प्यार के ऐसे भी
कुछ रंग प्यार के ऐसे भी .....!!!
Niraj Pandey
14-Jul-2021 06:25 PM
वाह👌
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Sapna shah
15-Jul-2021 12:42 PM
Thanks
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Mahendra Bhatt
14-Jul-2021 09:13 AM
बेहतरीन
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Sapna shah
15-Jul-2021 12:43 PM
Thanks
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